याद करते हो मुझे सूरज निकल जाने के बाद
याद करते हो मुझे सूरज निकल जाने के बाद एक सितारे ने ये पूछा रात ढल जाने के
Sad Poetry
याद करते हो मुझे सूरज निकल जाने के बाद एक सितारे ने ये पूछा रात ढल जाने के
हम को लुत्फ़ आता है अब फ़रेब खाने में आज़माएँ लोगों को ख़ूब आज़माने में, दो घड़ी के
हाथ पकड़ ले अब भी तेरा हो सकता हूँ मैं भीड़ बहुत है इस मेले में खो सकता
हमेशा दिल में रहता है कभी गोया नहीं जाता जिसे पाया नहीं जाता उसे खोया नहीं जाता, कुछ
ऐसा लगता है समझदार है दुनिया सारी मैं हूँ इस पार तो उस पार है दुनिया सारी, इस
हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की
आँखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते अरमान मेरे दिल के निकलने नहीं देते, ख़ातिर से तेरी
ऐ मेरी जान तुझे और बदलना होगा फिर मेरे साथ कड़ी धूप में चलना होगा, अपने पैरों पे
इल्म ओ हुनर से क़ौम को रग़बत नहीं रही इस पर शिकायतें कि फ़ज़ीलत नहीं रही, बदलेगा क्या
हुज़ूर हद भी कोई होवे इंतिज़ारी की कि इंतिहा हुई जावे है बे क़रारी की, न कुछ कहो