स्वराज का झंडा भारत में गड़वा दिया गाँधी बाबा ने

swaraj ka jhanda bharat me gadwa diya gaandhi baba ne

स्वराज का झंडा भारत में गड़वा दिया गाँधी बाबा ने दिल क़ौम-ओ-वतन के दुश्मन का दहला दिया गाँधी

तुम से पहले वो जो एक शख़्स यहाँ तख़्तनशीं था

tum se pahle wo jo ek shakhs yahan takhtnashin tha

तुम से पहले वो जो एक शख़्स यहाँ तख़्तनशीं था उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना

अच्छे दिन कब आएँगे ?

achche din kab aayenge

अच्छे दिन कब आएँगे क्या यूँ ही मर जाएँगे ? अपने आप को ख़्वाबों से कब तक हम

दे रहे हैं जिस को तोपों की सलामी आदमी

de rahe hain jis

दे रहे हैं जिस को तोपों की सलामी आदमी क्या कहूँ तुम से कि है कितना हरामी आदमी,

नये नये वायदों का नया नया बहाव आया है

naye naye waado ka

नये नये वायदों का नया नया बहाव आया है जनता को लुभाने खातिर कुछ नया उपाय आया है

दो जहाँ के हुस्न का अरमान आधा रह गया

do jahan ke husn

दो जहाँ के हुस्न का अरमान आधा रह गया इस सदी के शोर में इंसान आधा रह गया,

सियासत मुफ़ादात में खो गई है

सियासत-मुफ़ादात-में-खो

सियासत मुफ़ादात में खो गई है हुकुमत न जाने कहाँ सो गई है ? आवामी मसायेल इन्हें तब

तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ

तेरे जहाँ से अलग

तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ नई ज़मीन नया आसमान चाहता हूँ, बदन की क़ैद से

किताब सादा रहेगी कब तक ?

किताब सादा रहेगी कब

किताब सादा रहेगी कब तक ? कभी तो आगाज़ ए बाब होगा, जिन्होंने बस्तियाँ उजाड़ी है कभी तो

कहीं दिरहम कहीं डॉलर कहीं दीनार का झगड़ा

कहीं दिरहम कहीं डॉलर

कहीं दिरहम कहीं डॉलर कहीं दीनार का झगड़ा कहीं दिरहम कहीं डॉलर कहीं दीनार का झगड़ा कहीं लहँगा