किसी झूठीं वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता
किसी झूठीं वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता मुझे घर काग़ज़ी फूलों से महकाना नहीं आता, मैं …
किसी झूठीं वफ़ा से दिल को बहलाना नहीं आता मुझे घर काग़ज़ी फूलों से महकाना नहीं आता, मैं …
दुनियाँ ए अक़ीदत में अजब रस्म चली है जो दश्त में मजनूँ था वो मरकज़ मे वली है, …
ग़म ए जहाँ को शर्मसार करने वाले क्या हुए वो सारी उम्र इंतिज़ार करने वाले क्या हुए ? …
सरहदों पर है अपने जवानों का गम और बस्ती में जलते मकानों का गम, फिर से ये गंदी …
उनसे मिलिए जो यहाँ फेर बदल वाले है हमसे मत बोलिए हम लोग गज़ल वाले है, कैसे शफ़्फ़ाफ …
आरज़ी ताक़तें तुम्हारी है पर ख़ुदा हमारा है अपने अक्स पर न इतराओ आईना हमारा है, तेरी रज़ा …
कैसी महफ़िल है ज़ालिम तेरे शहर में यहाँ हर कोई ही डूबा हुआ है ज़हर में, एक बच्ची …
ख़ुद को इतना जो हवादार समझ रखा है क्या हमें रेत की दीवार समझ रखा है, हमने किरदार …
जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर निकला मेरे स्वागत को हर एक जेब से खंजर …
वो शख़्स कि मैं जिस से मोहब्बत नहीं करता हँसता है मुझे देख के नफ़रत नहीं करता, पकड़ा …