यही जगह थी यही दिन था और यही लम्हात

yahi jagah thi yahi

यही जगह थी यही दिन था और यही लम्हात सरों पे छाई थी सदियों से एक जो काली

ये हिन्दोस्ताँ है हमारा वतन

ye hindustan hai hamara

ये हिन्दोस्ताँ है हमारा वतन मोहब्बत की आँखों का तारा वतन, हमारा वतन दिल से प्यारा वतन वो

चिश्ती ने जिस ज़मीं में पैग़ाम ए हक़ सुनाया

chisti ne jis zamin

चिश्ती ने जिस ज़मीं में पैग़ाम ए हक़ सुनाया नानक ने जिस चमन में वहदत का गीत गाया,

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई

aasmaan se na utarega

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई ऐ ज़मीं ढूँढ ले अब अपना मसीहा कोई, फिर दर ए दिल

जमी हूँ बर्फ़ की सूरत पिघलना चाहती हूँ मैं

zami hoon barf ki

जमी हूँ बर्फ़ की सूरत पिघलना चाहती हूँ मैं हिसार ए ज़ात से बाहर निकलना चाहती हूँ मैं,

मेरे ही लहू पर गुज़र औक़ात करो हो

मेरे ही लहू पर

मेरे ही लहू पर गुज़र औक़ात करो हो मुझ से ही अमीरों की तरह बात करो हो, दिन

मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा

मेरे जुनूँ का नतीजा

मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा, गिरा दिया है तो साहिल पे

तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ

तेरे जहाँ से अलग

तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ नई ज़मीन नया आसमान चाहता हूँ, बदन की क़ैद से

किताब सादा रहेगी कब तक ?

किताब सादा रहेगी कब

किताब सादा रहेगी कब तक ? कभी तो आगाज़ ए बाब होगा, जिन्होंने बस्तियाँ उजाड़ी है कभी तो

बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत

बुरी है कीजिए नफ़रत

बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत मिटाए दिल से सदियों की अदावत चलो हम