आदमी केवल वहम में तानता है…
आदमी केवल वहम में तानता है शर्तियाँ औकात वो अपनी जानता है, रहनुमाई झूठ की …
आदमी केवल वहम में तानता है शर्तियाँ औकात वो अपनी जानता है, रहनुमाई झूठ की …
शख्सियत ए लख्त ए ज़िगर कहला न सका ज़न्नत के धनी क़दमों को मैं सहला …
आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाक़ी है, कुछ दर्द मिटाना बाक़ी है …
तू अपनी खूबियाँ ढूँढ कमियां निकालने के लिए लोग हैं, अगर रखना ही है कदम …
किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई मेरे ख़ुदा नफ़रत ही अब दे रही है दिखाई …
बात इधर उधर तो बहुत घुमाई जा सकती है पर सच्चाई भला कब तक छुपाई …
रह के मक्कारों में मक्कार हुई है दुनिया मेरे दुश्मन की तरफ़दार हुई है दुनिया, …
दिल से उतर जाने में एक लम्हा लगता है दिल के बदल जाने में एक …
दर्द कई होते है दिल में छुपाने के लिए सब के सब आँसू नहीं होते …
वो जो दिख रहा है सच हो ये ज़रूरी तो नहीं है वो जो तुम …