ज़िस्म क्या है ? रूह तक सब कुछ….

zism kya hai ruh tak sab kuch khulasa dekhiye

ज़िस्म क्या है ? रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिए आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा

अँधेरा सफ़र है ख़बरदार रहना…

andhera safar hai khabardar

अँधेरा सफ़र है ख़बरदार रहना लुटेरा शहर है ख़बरदार रहना, गला काटतें है बड़ी सादगी से ये इनका

ना मस्ज़िदे ना शिवाले तलाश करते है…

naa-maszide-naa-shiwale

ना मस्ज़िदे ना शिवाले तलाश करते है ये भूखे पेट निवाले तलाश करते है, हमारी सादा दिली देखो

एक निहत्थे आदमी के हाथ में क़िस्मत…

एक निहत्थे आदमी के

एक निहत्थे आदमी के हाथ में क़िस्मत ही काफी है हवाओं का रुख बदलने के लिए चाहत ही

आदमी केवल वहम में तानता है…

आदमी केवल वहम में

आदमी केवल वहम में तानता है शर्तियाँ औकात वो अपनी जानता है, रहनुमाई झूठ की कर ले मगर

शख्सियत ए लख्त ए ज़िगर कहला…

शख्सियत ए लख्त ए

शख्सियत ए लख्त ए ज़िगर कहला न सका ज़न्नत के धनी क़दमों को मैं सहला न सका, दूध

आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी….

aahista chal ae zindagi

आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाक़ी है, कुछ दर्द मिटाना बाक़ी है कुछ फर्ज़ निभाना

तू अपनी खूबियाँ ढूँढ कमियां निकालने के लिए लोग हैं

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तू अपनी खूबियाँ ढूँढ कमियां निकालने के लिए लोग हैं, अगर रखना ही है कदम तो आगे रख

किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई मेरे ख़ुदा

kis simt chal padi hai khudai mere khuda

किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई मेरे ख़ुदा नफ़रत ही अब दे रही है दिखाई मेरे ख़ुदा, अम्न

बात इधर उधर तो बहुत घुमाई जा..

बात इधर उधर तो

बात इधर उधर तो बहुत घुमाई जा सकती है पर सच्चाई भला कब तक छुपाई जा सकती है