इंसाफ़ से न महरूम अब कोई शख्स रहेगा
इंसाफ़ से न महरूम अब कोई शख्स रहेगा दुनियाँ में जो जैसा करेगा, वो वैसा …
इंसाफ़ से न महरूम अब कोई शख्स रहेगा दुनियाँ में जो जैसा करेगा, वो वैसा …
झगड़ना काहे का ? मेरे भाई पड़ी रहेगी ये बाप दादा की सब कमाई पड़ी …
गर मयकश हूँ तो जाम का मै तलबगार हूँ शिकस्तादिल हूँ मगर गम का खरीदार …
वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए वो कश्तियाँ चलाने वाले क्या हुए ? वो …
हर गम से मुस्कुराने का हौसला मिलता है ये दिल ही तो है जो गिरता …
दरोग़ के इम्तिहाँ कदे में सदा यही कारोबार होगा जो बढ़ के ताईद ए हक़ …
हिंदू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िए अपनी कुर्सी के लिए जज़्बात को मत …
कुछ देर का है रोना, कुछ देर की हँसी है कहीं ठहरती नहीं इसी का …
फूल,खुशबू, कली की बात करें प्यार की, आशिकी की बात करें मौत का खौफ़ भूल …