मेंरी सदा है गुल ए शम् ए शाम ए आज़ादी

meri sada hai gul

मेंरी सदा है गुल ए शम् ए शाम ए आज़ादी सुना रहा हूँ दिलों को पयाम ए आज़ादी,

चिश्ती ने जिस ज़मीं में पैग़ाम ए हक़ सुनाया

chisti ne jis zamin

चिश्ती ने जिस ज़मीं में पैग़ाम ए हक़ सुनाया नानक ने जिस चमन में वहदत का गीत गाया,

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई

aasmaan se na utarega

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई ऐ ज़मीं ढूँढ ले अब अपना मसीहा कोई, फिर दर ए दिल

आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता

आँखों पर पलकों का

आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता दर्द का रिश्ता अपनी आन नहीं खोता, बस्ती के हस्सास दिलों

अपनी सोचें शिकस्त ओ ख़ाम न कर

अपनी सोचें शिकस्त ओ

अपनी सोचें शिकस्त ओ ख़ाम न कर चल पड़ा है तो फिर क़याम न कर, मैं भी हस्सास

इंसाफ़ से न महरूम अब कोई शख्स रहेगा

insaaf se na mahrum

इंसाफ़ से न महरूम अब कोई शख्स रहेगा दुनियाँ में जो जैसा करेगा, वो वैसा ही भरेगा, कागज़

झगड़ना काहे का ? मेरे भाई पड़ी रहेगी

jhagadna kaahe ka mere bhai

झगड़ना काहे का ? मेरे भाई पड़ी रहेगी ये बाप दादा की सब कमाई पड़ी रहेगी, अंधेरे कमरों

गर मयकश हूँ तो जाम का मै तलबगार हूँ

gar maykash hoo to jaam ka talabgaar hoon

गर मयकश हूँ तो जाम का मै तलबगार हूँ शिकस्तादिल हूँ मगर गम का खरीदार हूँ, काफिलों की

वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए

wo sahilo pe gaane wale kya hue

वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए वो कश्तियाँ चलाने वाले क्या हुए ? वो सुब्ह आते आते

हर गम से मुस्कुराने का हौसला मिलता है

हर गम से मुस्कुराने

हर गम से मुस्कुराने का हौसला मिलता है ये दिल ही तो है जो गिरता और संभलता है,