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Miscellaneous

रौनक तुम्हारे दम से है लैल ओ नहार की…

raunak tumhare dam se hai lail o nahaar ki

रौनक तुम्हारे दम से है लैल ओ नहार की तुम आबरू हो आमद ए फ़सल ए बाहर की, …

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हर रिश्ता यहाँ बस चार दिन की कहानी है…

har rishta yahan bas char din ki kahani hai

हर रिश्ता यहाँ बस चार दिन की कहानी है अंज़ाम ए वफ़ा का सिला आँखों से बहता पानी …

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तलब की राहों में सारे आलम नए नए से…

talab ki raahon me saare alam naye naye se

तलब की राहों में सारे आलम नए नए से शजर हजर लोग शहर मौसम नए नए से, चमक …

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सुख़नवरी का बहाना बनाता रहता हूँ…

sukhanwari ka bahana banata rahta hoon

सुख़नवरी का बहाना बनाता रहता हूँ तेरा फ़साना तुझी को सुनाता रहता हूँ, मैं अपने आप से शर्मिंदा …

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सियाह रात से हम रौशनी बनाते हैं…

Siyah raat se ham raushni banate hai

सियाह रात से हम रौशनी बनाते हैं पुरानी बात को अक्सर नई बनाते हैं, कल एक बच्चे ने …

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शाख़ से फूल से क्या उस का पता पूछती है…

shakh se fool se kya uska pata puchhti hai

शाख़ से फूल से क्या उसका पता पूछती है या फिर इस दश्त में कुछ और हवा पूछती …

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भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ ?

bhookh hai to sabr kar roti nahi to kya hua

भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ ? आजकल दिल्ली में है ज़ेर ए बहस …

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परिन्दे अब भी पर तोले हुए हैं…

parinde ab bhi par tole hue hai

परिन्दे अब भी पर तोले हुए हैं हवा में सनसनी घोले हुए हैं, तुम्हीं कमज़ोर पड़ते जा रहे …

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इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है…

is nadi ki dhaar se thandi hawa aati to hai

इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो …

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कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं…

kaise manzar samne aane lage hai

कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं गाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं, अब तो इस तालाब का पानी …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने