छोड़ो अब उस चराग़ का चर्चा बहुत हुआ…
छोड़ो अब उस चराग़ का चर्चा बहुत हुआ अपना तो सब के हाथों ख़सारा बहुत हुआ, क्या बेसबब …
छोड़ो अब उस चराग़ का चर्चा बहुत हुआ अपना तो सब के हाथों ख़सारा बहुत हुआ, क्या बेसबब …
सवाद ए शाम न रंग ए सहर को देखते हैं बस एक सितारा ए वहशत असर को देखते …
लोग कहते थे वो मौसम ही नहीं आने का अब के देखा तो नया रंग है वीराने का, …
किसी से क्या कहे सुने अगर गुबार हो गए हम ही हवा की ज़द में थे हम ही …
अब वो झोंके कहाँ सबा जैसे आग है शहर की हवा जैसे, शब सुलगती है दोपहर की तरह …
दोस्ती को आम करना चाहता है ख़ुद को नीलाम करना चाहता है, बेंच आया है घटा के हाथ …
मिलते है दोस्त क़िस्मत से ज़माने में हर एक होता नहीं क़ाबिल ए ऐतबार ज़माने में, ख़ुलूस के …
हम एक ख़ुदा के बन्दे है और एक जहाँ में बसते है, रब भी जब चाहे हम साथ …
झूठी हँसी तेरा मुस्कुराना झूठा यार तेरा तो हर एक बहाना झूठा, कैसे ऐतबार करूँ फिर से तुझ …
आज के माहौल में इंसानियत बदनाम है ये इनाद ए बाहमी का ही फ़क़त अंजाम है, हक़ शनासी …