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Miscellaneous

ये एक बात समझने में रात हो गई है

ये एक बात समझने

ये एक बात समझने में रात हो गई है मैं उससे जीत गया हूँ कि मात हो गई …

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यहाँ किसे ख़बर है कि ये उम्र बस

यहाँ किसे ख़बर है

यहाँ किसे ख़बर है कि ये उम्र बस इसी पे गौर करने में कट रही है, कि ये …

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वो जो दिख रहा है सच हो ये ज़रूरी तो नहीं है

वो जो दिख रहा

वो जो दिख रहा है सच हो ये ज़रूरी तो नहीं है वो जो तुम कहते हो हक़ …

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संगदिल कहाँ किसी का गमगुसार करते है

sangdil kahan kisi ka gamgusaar karte hai

संगदिल कहाँ किसी का गमगुसार करते है ये मुर्दा ज़मीर कब मज़लूमो से प्यार करते है, ना फ़िक्र …

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जो पूछती हो तो सुनो ! कैसे बसर होती है

जो पूछती हो तो

जो पूछती हो तो सुनो ! कैसे बसर होती है रात खैरात की, सदके की सहर होती है, …

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ये न पूछो कि कैसा ये हिन्दुस्तान होना चाहिए

ye naa pucho kaisa hindustan hona chahiye

ये न पूछो कि कैसा ये हिन्दुस्तान होना चाहिए खत्म पहले मज़हब का घमासान होना चाहिए, इन्सान को …

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आँख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो

aankh me paani rakho hontho pe chingari rakho

आँख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो, राह के …

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ये आसमां ज़रूरी है तो ज़मीं भी ज़रूरी है

aasmaa zaruri to zamin bhi zaruri hai

ये आसमां ज़रूरी है तो ज़मीं भी ज़रूरी है ज़िन्दगी के वास्ते कुछ कमी भी ज़रूरी है, हर …

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न नींद और न ख़्वाब से आँख भरनी है

न नींद और न

न नींद और न ख़्वाब से आँख भरनी है कि तुझे देख कर हसरत पूरी करनी है, किसी …

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अज़ीब ख़्वाब था उसके बदन पे काई थी

azib khwab tha uske badan pe kaai thi

अज़ीब ख़्वाब था उसके बदन पे काई थी वो एक परी जो मुझे सब्ज़ करने आई थी, वो …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने