दीवाना हूँ मैं बिखरे मोती चुनता हूँ
दीवाना हूँ मैं बिखरे मोती चुनता हूँ लम्हा लम्हा जोड़ के सदियाँ बुनता हूँ, तन्हा कमरे सूना आँगन …
दीवाना हूँ मैं बिखरे मोती चुनता हूँ लम्हा लम्हा जोड़ के सदियाँ बुनता हूँ, तन्हा कमरे सूना आँगन …
तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ नई ज़मीन नया आसमान चाहता हूँ, बदन की क़ैद से …
अपने ही भाई को हमसाया बनाते क्यूँ हो अपने सहन के बीच में दीवार लगाते क्यूँ हो ? …
कुएँ जो पानी की बिन प्यास चाह रखते हैं मगर नहंग भी दरिया की थाह रखते हैं, शहादत …
जब भी बैठता हूँ लिखने कुछ लिखा जाता नहीं, एक उसके सिवा कोई मौज़ूअ मुझे याद आता नहीं, …
दूसरा फ़ैसला नहीं होता इश्क़ में मशवरा नहीं होता, ख़ुद ही सौ रास्ते निकलते हैं जब कोई रास्ता …
वो बेवफ़ा है उसे बेवफ़ा कहूँ कैसे बुरा ज़रूर है लेकिन बुरा कहूँ कैसे ? जो कश्तियों को …
चश्म ए तर है सहाब है क्या है अश्क गौहर है आब है क्या है ? मरना जीना …
ये किस ने कहा तुम कूच करो बातें न बनाओ इंशा जी ये शहर तुम्हारा अपना है इसे …
खो गया है जो उस को खोने दो फिर नया ख़्वाब मुझ को बोने दो, सुनों ऐ बस्तियों …