फिर गोया हुई शाम परिंदों की ज़बानी

fir goya hui shaam parindon ki zabani

फिर गोया हुई शाम परिंदों की ज़बानी आओ सुनें मिट्टी से ही मिट्टी की कहानी, वाक़िफ़ नहीं अब

वक़्त बंजारा सिफ़त लम्हा ब लम्हा अपना

waqt banjaara sifat lamha ba lamha apna

वक़्त बंजारा सिफ़त लम्हा ब लम्हा अपना किस को मालूम यहाँ कौन है कितना अपना ? जो भी

एक रात लगती है एक सहर बनाने में

ek raat lagti hai ek sahar banane me

एक रात लगती है एक सहर बनाने में हम ने क्यों नहीं सोचा हमसफ़र बनाने में ? मंज़िलें

अगरचे सब यहाँ सस्ता पड़ेगा

agarche sab yahan sasta padega

अगरचे सब यहाँ सस्ता पड़ेगा तुम्हें बस इश्क़ ही महँगा पड़ेगा, मुसव्विर से उलझने की सज़ा है हमें

छोड़ कर ऐसे गया है छोड़ने वाला मुझे

chhod kar aise gaya hai chhodne wala mujhe

छोड़ कर ऐसे गया है छोड़ने वाला मुझे दोस्तो उस ने कहीं का भी नहीं छोड़ा मुझे, बोल

अगर जो प्यार ख़ता है तो कोई बात नहीं

agar jo pyar khata hai to koi baat nahi

अगर जो प्यार ख़ता है तो कोई बात नहीं क़ज़ा ही उस की सज़ा है तो कोई बात

झूठ का बोलना आसान नहीं होता है

jhooth ka bolna aasaan nahi hota hai

झूठ का बोलना आसान नहीं होता है दिल तेरे बाद परेशान नहीं होता है, सब तेरे बाद यही

न होता दहर से जो बेनियाज़ क्या करता

na hota dahar se jo beniyaz kya karta

न होता दहर से जो बेनियाज़ क्या करता खुला था मुझ पे कुछ ऐसा ही राज़ क्या करता

तेशा ब दस्त आ मेरे आज़र तराश दे

tesha ba dast aa mere aazar tarash de

तेशा ब दस्त आ मेरे आज़र तराश दे बेडोल है बहुत मेरा पैकर तराश दे, गर क़ुमरियों के

शहर मेरा हुजरा ए आफ़ात है

shahar mera huzra e aafaat hai

शहर मेरा हुजरा ए आफ़ात है सर पे सूरज और घर में रात है, सुर्ख़ थे चेहरे बदन