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General Poetry

एक रात आती है एक रात जाती है

ek raat aati hai ek raat jaati hai

एक रात आती है एक रात जाती है गेसुओं के साए में किस को नींद आती है, सिलसिला …

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जाग उठेंगे दर्द पुराने ज़ख़्मों की अँगनाई में

jaag uthenge dard puraane

जाग उठेंगे दर्द पुराने ज़ख़्मों की अँगनाई में दिल की चोट उभर आएगी मत निकलो पुर्वाई में, कोयल …

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बा वक़्त ए शाम सूरज से हुकुमत छीन लेता है

baa waqt e shaam suraj se

बा वक़्त ए शाम सूरज से हुकुमत छीन लेता है सहर होते ही सितारों से क़यादत छीन लेता …

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बहुत उदास है दिल जाने माजरा क्या है

bahut udaas hai dil

बहुत उदास है दिल जाने माजरा क्या है मेरे नसीब में गम के सिवा धरा क्या है, मैं …

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सुकुन के दिन फ़रागत की रात से भी गए

sukun ke din faragat ki raat se bhi gaye

सुकुन के दिन फ़रागत की रात से भी गए तुझे गँवा के हम भारी कायनात से भी गए, …

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कोई महबूब सितमगर भी तो हो सकता है

koi mahbub sitamgar bhi

कोई महबूब सितमगर भी तो हो सकता है फूल के हाथ में खंजर भी तो हो सकता है, …

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जिसके साथ अपनी माँ की दुआ होती है

jiske sath apni maan ki duaa hoti hai

जिसके साथ अपनी माँ की दुआ होती है उसके मुक़द्दर में जन्नत की हवा होती है, जिन्हें माँ …

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फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है

phool ka shaakh pe aana bhi bura lagta hai

फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है तू नहीं है तो ज़माना भी बुरा लगता है, …

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हर घड़ी चश्म ए ख़रीदार में रहने के लिए

har ghadi chasm e kharidaar me rahne ke liye

हर घड़ी चश्म ए ख़रीदार में रहने के लिए कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए, मैं …

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मुझपे हैं सैकड़ों इल्ज़ाम मेंरे साथ न चल

mujhpe hai saikdo ilzam mere saath na chal

मुझपे हैं सैकड़ों इल्ज़ाम मेंरे साथ न चल तू भी हो जाएगा बदनाम मेंरे साथ न चल, तू …

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कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

जैसा नज़र का शौक़

जैसा नज़र का शौक़ था वैसा न कर सका

ये ज़माने की वफ़ाएं

ये ज़माने की वफ़ाएं मेरे काम की नहीं

असर उस को ज़रा

असर उस को ज़रा नहीं होता

वो जो हम में

वो जो हम में तुम में क़रार था…

रह वफ़ा में

रह वफ़ा में कोई साहिब ए जुनूँ न मिला

हाल में अपने मगन

हाल में अपने मगन हो फ़िक्र ए आइंदा न हो

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कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस