दोस्तो क्या क्या दिवाली में नशात ओ ऐश है

doston kya kya deewali me nashaat o aish hai

दोस्तो क्या क्या दिवाली में नशात ओ ऐश है सब मुहय्या है जो इस हंगाम के शायाँ है

कोई सिपाही नहीं बच सका निशानों से

koi sipahi nahi bach saka nishano se

कोई सिपाही नहीं बच सका निशानों से गली में तीर बरसते रहे मकानों से, ये बर्बादी अचानक से

तुम से पहले वो जो एक शख़्स यहाँ तख़्तनशीं था

tum se pahle wo jo ek shakhs yahan takhtnashin tha

तुम से पहले वो जो एक शख़्स यहाँ तख़्तनशीं था उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना

वो बात बात में ऐसे निशान छोड़ गया

wo baat baat me aise nishan chhod gaya

वो बात बात में ऐसे निशान छोड़ गया सुलगते दिल को चिता के समान छोड़ गया, न जाने

मायूस ए शाम ए ग़म तुझे इस की ख़बर भी है

maayus e sham e gam tujhe is kee khabar bhi hai

मायूस ए शाम ए ग़म तुझे इस की ख़बर भी है तारीकियों की आड़ में नूर ए सहर

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है

koi hndu koi muslim koi isaai hai

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है, इतनी ख़ूँ

जब तेरा हुक्म मिला, तर्क ए मुहब्बत कर दी

jab tera huqm mila tark e muhabbat kar dee

जब तेरा हुक्म मिला, तर्क ए मुहब्बत कर दी दिल मगर इस पे वो धड़का कि क़यामत कर

हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है

humne suna tha farishte jaan lete hain

हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है खैर छोड़ो ! अब तो इन्सान लेते है, इश्क़ ने ऐसी

इन्सान भूल चुका है इन्सान की क़ीमत

insan bhool chuka hai insan kee qeemat

इन्सान भूल चुका है इन्सान की क़ीमत बाज़ार में बढ़ गई आज हैवान की क़ीमत, इक्तिदार में आते

भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे

bhala gamon se kahan haar jaane wale the

भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे हम आँसुओं की तरह मुस्कुराने वाले थे, हम ही ने