कहानी ठीक बनती है नज़ारें ठीक मिलते हैं

kahani thik banti hai

कहानी ठीक बनती है नज़ारें ठीक मिलते हैं अमूमां वक़्त अच्छा हो तो सारे ठीक मिलते हैं, वजह

तुम पे क्या बीत गई कुछ तो बताओ यारो

tum pe kya beet

तुम पे क्या बीत गई कुछ तो बताओ यारो मैं कोई ग़ैर नहीं हूँ कि छुपाओ यारो, इन

लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से

log kahte hai ki

लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा

सच कहने से यार ख़फ़ा हो जाते हैं

sach kahne se yaar

सच कहने से यार ख़फ़ा हो जाते हैं दिल के सब अरमान हवा हो जाते हैं, हद से

मौसम बदल गए ज़माने बदल गए

mausam badal gaye zamane

मौसम बदल गए ज़माने बदल गए लम्हों में दोस्त बरसों पुराने बदल गए, दिन भर रहे जो मेरी

मुश्किल दिन भी आए लेकिन फ़र्क़….

मुश्किल दिन भी आए

मुश्किल दिन भी आए लेकिन फ़र्क़ न आया यारी में हम ने पूरी जान लगाई उस की ताबेदारी

दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला

dost ban kar bhi nahi

दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला, अब उसे लोग

लेना देना ही क्या फिर ऐसे यारो से ?

लेना देना ही क्या

लेना देना ही क्या फिर ऐसे यारो से ? सुख दुःख भी जब बाँटने हो दीवारों से, ज़िस्म

मिलते है दोस्त क़िस्मत से ज़माने में…

milte hai qismat se dost zamane me

मिलते है दोस्त क़िस्मत से ज़माने में हर एक होता नहीं क़ाबिल ए ऐतबार ज़माने में, ख़ुलूस के

झूठी हँसी तेरा मुस्कुराना झूठा…

झूठी हँसी तेरा मुस्कुराना

झूठी हँसी तेरा मुस्कुराना झूठा यार तेरा तो हर एक बहाना झूठा, कैसे ऐतबार करूँ फिर से तुझ