बेकार जब दुआ है दवा क्या करेगी आज

बेकार जब दुआ है दवा क्या करेगी आज
ऐसे में ज़िंदगी भी वफ़ा क्या करेगी आज ?

ये दौर सख़्त ओ तल्ख़ कलामी का दौर है
लहजों की नर्म तर्ज़ ए अदा क्या करेगी आज ?

कल तक बहुत ग़ुरूर में फिरती थी ज़िंदगी
अब मौत सामने है बता क्या करेगी आज ?

ज़ब्त ए ग़म ए फ़िराक़ की दिल में कहाँ सकत
ज़ालिम के रूठने की अदा क्या करेगी आज..!!

~नवाज़ देवबंदी

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