बाहर नहीं तो ख़ुद ही के अंदर तलाश कर
सहरा है जिस जगह पे समुंदर तलाश कर,
मुमकिन है ये कि मेरी रग ए जाँ को काट दे
ईसार ओ आशिक़ी का तू ख़ंजर तलाश कर,
हम सच कहेंगे सच के सिवा कुछ नहीं मियाँ
तू अपने जैसे झूठे सितमगर तलाश कर,
जो ग़म का मुस्कुरा के उड़ाए मज़ाक़ वो
मिल जाएगा वो ख़ुद में क़लंदर तलाश कर,
जब तक है जान जान में मरने का डर भी है
जो डर निकाल दे वो पयम्बर तलाश कर,
अंदाज़ अपना होता है सब के बयान का
इरशाद जैसा अच्छा सुख़नवर तलाश कर..!!
~इरशाद अज़ीज़