बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना
आप आसान समझते हैं मुनव्वर होना,
एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुमने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना,
सिर्फ़ बच्चों की मोहब्बत ने क़दम रोक लिए
वर्ना आसान था मेरे लिए बे घर होना,
हम को मालूम है शोहरत की बुलंदी हमने
क़ब्र की मिट्टी का देखा है बराबर होना,
इसको क़िस्मत की ख़राबी ही कहा जाएगा
आपका शहर में आना मेरा बाहर होना,
सोचता हूँ तो कहानी की तरह लगता है
रास्ते से मेरा तकना तेरा छत पर होना,
मुझको क़िस्मत ही पहुँचने नहीं देती वर्ना
एक एज़ाज़ है उस दर का गदागर होना,
सिर्फ़ तारीख़ बताने के लिए ज़िंदा हूँ
अब मेरा घर में भी होना है कैलेंडर होना..!!
~मुनव्वर राना