अज़ब कर्ब में गुज़री, जहाँ जहाँ गुज़री

अज़ब कर्ब में गुज़री, जहाँ जहाँ गुज़री
अगरचे चाहने वालों के दरम्याँ गुज़री,

तमाम उम्र चराग ए उम्मीद जलाते रहे
तमाम उम्र उम्मीदों के दरम्याँ गुज़री,

गुज़र गई जो तेरे साथ वो यादगार रही
बिना तेरे जो गुज़री वबाल ए जाँ गुज़री,

मुझे सुकूं मयस्सर नहीं तो क्या गम है
गुलों की उम्र तो काँटों के दरम्याँ गुज़री,

अज़ब चीज है ये गर्दिश ए हालात मोहसिन
कभी ज़मीं तो कभी मस्ल ए आसमां गुज़री..!!

~मोहसिन नक़वी

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