अगर आज भी बोली ठोली न होगी
तो होली ठिकाने की होली न होगी,
बड़ी गालियाँ देगा फागुन का मौसम
अगर आज ठट्ठा ठिठोली न होगी,
वो खोलेंगे आवारा मौसम के झोंके
जो खिड़की शराफ़त ने खोली न होगी,
है होली का दिन कम से कम दोपहर तक
किसी के ठिकाने की बोली न होगी,
अभी से न चक्कर लगा मस्त भँवरे
कली ने अभी आँख खोली न होगी
ये बोटी परी बन के उड़ने लगेगी
ज़रा घोलिए फिर से घोली न होगी,
इसी जेब में होगी फ़ित्ने की पुड़िया
ज़रा फिर टटोलो टटोली न होगी,
‘नज़ीर’ आज आएँगे मिलने यक़ीनन
न आए तो आज उन की होली न होगी..!!
~नज़ीर बनारसी