ऐ वक़्त ज़रा थम जा ये कैसी रवानी है

ऐ वक़्त ज़रा थम जा ये कैसी रवानी है
आँखों में अभी बाक़ी एक ख्वाब ए जवानी है,

क्या क़िस्सा सुनाएँ हम उस उम्र ए गुरेज़ा का
फुर्सत है बहुत थोड़ी और लम्बी कहानी है,

एक राज़ है सीने में रखा नहीं जाता अब
आ कर कभी सुन जाओ एक बात पुरानी है,

सच्चे थे तेरे वायदे सच्चे है बहाने भी
बस हमको शिकायत की आदत ही पुरानी है,

जो कुछ भी कहा तुमने तुमको ही ख़बर होगी
हमने तो सुना जो कुछ दुनिया की जुबानी है,

गुज़री जो बिना तेरे उस उम्र का अफ़साना
होंठों की ख़ामोशी है आँखों का ये पानी है,

ऐ याद ए शब ए उल्फ़त ! कुछ और थपक मुझको
पलकों पर अभी बाक़ी दिन भर की गरानी है,

उम्मीद की ख़ुशबू है यादों के दीये रौशन
हर वक़्त तसव्वुर में एक शाम सुहानी है…!!

Leave a Reply