अभी क्या कहे
अभी क्या सुने?
कि सर ए फसील ए सकूत ए जाँ
कफ़ ए रोज़ ओ शब पे शरर नुमा
वो जो हर्फ़ हर्फ़ चिराग़ था
उसे किस हवा ने बुझा दिया ?
कभी लब हिलेंगे तो पूछना !
सर ए शहर ए अहद ए विसाल ए दिल
वो जो निकहतों का हुजूम था
उसे दस्त ए मौज़ ए फ़िराक ने
तह ए खाक़ कब से मिला दिया ?
कभी गुल खिलेंगे तो पूछना !
अभी क्या कहे__अभी क्या सुने ?
यूँही ख्वाहिशो के फ़शार में
कभी बे सबब कभी बे ख़लल
कहाँ, कौन किस से बिछड़ गया ?
किसे, किसने भूला दिया ?
कभी फिर मिलेंगे तो पूछना…!!