यूँ न मिल मुझ से ख़फ़ा हो जैसे
साथ चल मौज ए सबा हो जैसे,
लोग यूँ देख के हँस देते हैं
तू मुझे भूल गया हो जैसे,
इश्क़ को शिर्क की हद तक न बढ़ा
यूँ न मिल हम से ख़ुदा हो जैसे,
मौत भी आई तो इस नाज़ के साथ
मुझ पे एहसान किया हो जैसे,
ऐसे अंजान बने बैठे हो
तुम को कुछ भी न पता हो जैसे,
हिचकियाँ रात को आती ही रहीं
तू ने फिर याद किया हो जैसे,
ज़िंदगी बीत रही है दानिश
एक बे जुर्म सज़ा हो जैसे..!!
~एहसान दानिश



















