हम ने दिल से तुझे सदा माना

हम ने दिल से तुझे सदा माना
तू बड़ा था तुझे बड़ा माना,

मीर ओ ग़ालिब के बाद अनीस के बाद
तुझ को माना बड़ा बजा माना,

तू कि दीवाना ए सदाक़त था
तू ने बंदे को कब ख़ुदा माना,

तुझ को परवाह न थी ज़माने की
तू ने दिल ही का हर कहा माना,

तुझ को ख़ुद पे था एतिमाद इतना
ख़ुद ही को तो न रहनुमा माना,

की न शब की कभी पज़ीराई
सुब्ह को लाएक़ ए सना माना,

हँस दिया सत्ह ए ज़ेहन ए आलम पर
जब किसी बात का बुरा माना,

यूँ तो शायर थे और भी ऐ जोश
हम ने तुझ सा न दूसरा माना..!!

~हबीब जालिब

तू रंग है ग़ुबार हैं तेरी गली के लोग

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