आह जो दिल से निकाली जाएगी

आह जो दिल से निकाली जाएगी
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी ?

इस नज़ाकत पर ये शमशीर ए जफ़ा
आप से क्यूँ कर सँभाली जाएगी,

क्या ग़म ए दुनिया का डर मुझ रिंद को
और एक बोतल चढ़ा ली जाएगी,

शैख़ की दावत में मय का काम क्या ?
एहतियातन कुछ मँगा ली जाएगी,

याद ए अबरू में है अकबर महव यूँ
कब तेरी ये कज ख़याली जाएगी..??

~अकबर इलाहाबादी

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