ये जो दीवाने से दो चार नज़र आते है
उनमे कुछ साहिब ए असरार नज़र आते है,
तेरी महफ़िल का भरम रखते हैं सो जाते हैं
वरना ये लोग तो बेदार नज़र आते हैं,
दूर तक कोई सितारा है न कोई जुगनू
मर्ग ए उम्मीद के आसार नज़र आते है,
मेरे दामन में शरारों के सिवा कुछ भी नहीं
आप फूलों के ख़रीदार नज़र आते है,
कल जिन्हें छू नहीं सकती थी फरिश्तों की नज़र
आज वो रौनक ए बाज़ार नज़र आते है,
हश्र में कौन गवाही मेरी देगा सागर
सब तुम्हारे ही तरफ़दार नज़र आते है..!!
~सागर सिद्दीकी