उनसे मिलिए जो यहाँ फेर बदल वाले है
हमसे मत बोलिए हम लोग गज़ल वाले है,
कैसे शफ़्फ़ाफ लिबासों में नज़र आते है
कौन मानेगा कि ये सब वही कल वाले है,
लूटने वाले उसे क़त्ल न करते लेकिन
उसने पहचान लिया था कि बगल वाले है,
अब तो मिलजुल के परिंदों को रहना होगा
जितने तालाब है सब नील कमल वाले है,
यूँ भी फ़ूस के छप्पर की हक़ीक़त क्या थी
अब उन्हे ख़तरा है जो लोग महल वाले है,
बे कफ़न लाशों के अम्बार लगे है लेकिन
फ़ख्र से कहते है वो हम ताजमहल वाले है…!!