जिस से मिल बैठे लगी वो शक्ल पहचानी हुई

जिस से मिल बैठे

जिस से मिल बैठे लगी वो शक्ल पहचानी हुई आज तक हमसे यही बस एक नादानी हुई, सैकड़ों

ग़ज़ल की शक्ल में एक बात है सुनाने की…

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ग़ज़ल की शक्ल में एक बात है सुनाने कीएक उसका नाम है वजह मुस्कुराने की, इस तरह राब्ता