आग बहते हुए पानी में लगाने आई
आग बहते हुए पानी में लगाने आई तेरे ख़त आज मैं दरिया में बहाने आई, फिर तेरी याद …
आग बहते हुए पानी में लगाने आई तेरे ख़त आज मैं दरिया में बहाने आई, फिर तेरी याद …
होना नहीं अब उसने मेहरबान छोड़ दे उसके लिए तू चाहे ये जहान छोड़ दे, कितनी उठाए हमने …
हमने कैसे यहाँ गुज़ारी है अश्क खुनी है आह ज़ारी है, हम ही पागल थे जान दे बैठे …
याद आता है मुझे छोड़ के जाने वाला मेरी हर शाम को रंगीन बनाने वाला, आज रो कर …
मैंने माना कि तुम ज़ालिम नहीं हो मगर क्या मालूम था कि हम तुमसे डर जाएँगे, तेरी याद …
हमें कोई गम न था, गम ए आशिकी से पहले न थी दुश्मनी किसी से, तेरी दोस्ती से …
जाने क्यूँ आजकल तुम्हारी कमी अखरती है बहुत यादो के बंद कमरे में ज़िन्दगी सिसकती है बहुत, पनपने …
क्या करेंगे आप मेरे दिल का मंज़र देख कर ख़ामखा हैरान होंगे एक समन्दर देख कर, ये अमीरों …
तमाम उम्र कटी उसकी मेज़बानी में बिछड़ गया था कभी जो भरी जवानी में, हमारे होने तलक सब …
तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है तुझे अलग से जो सोचू अजीब लगता है, जिसे ना …