गर्मी ए हसरत ए नाकाम से जल जाते हैं

garmi e hasrat e naqam

गर्मी ए हसरत ए नाकाम से जल जाते हैं हम चराग़ों की तरह शाम से जल जाते हैं,

गँवाई किस की तमन्ना में ज़िन्दगी मैं ने

गँवाई किस की तमन्ना

गँवाई किस की तमन्ना में ज़िन्दगी मैं ने वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैं ने, तेरा

किस एहतियात से उसने नज़र बचाई है

किस एहतियात से उसने

किस एहतियात से उसने नज़र बचाई है ज़माना अब भी समझता है आशनाई है, मेरे अज़ीज़ है इसका

जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच जाऊँ मसाफ़त कैसी

जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच

जिस तरफ़ चाहूँ पहुँच जाऊँ मसाफ़त कैसी मैं तो आवाज़ हूँ आवाज़ की हिजरत कैसी ? सुनने वालों

बात करते है ख़ुशी की भी तो रंज़ के साथ

baat karte hai khushi ki

बात करते है ख़ुशी की भी तो रंज़ के साथ वो हँसाते भी है ऐसा कि रुला देते

कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को

कभी कहा न किसी

कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को न जाने कैसे ख़बर हो गई ज़माने को, दुआ बहार

साथ चलते आ रहे हैं पास आ सकते नहीं

साथ चलते आ रहे

साथ चलते आ रहे हैं पास आ सकते नहीं एक नदी के दो किनारों को मिला सकते नहीं,

चेहरा देखें तेरे होंठ और पलकें देखे

चेहरा देखें तेरे होंठ

चेहरा देखें तेरे होंठ और पलकें देखे दिल पे आँखे रखे और तेरी साँसे देखें, सुर्ख लबो से

शबनम है कि धोखा है कि झरना है कि तुम हो

shabnam hai ki dhokha hai

शबनम है कि धोखा है कि झरना है कि तुम हो दिल दश्त में एक प्यास तमाशा है

उधर की शय इधर कर दी गई है

उधर की शय इधर

उधर की शय इधर कर दी गई है ज़मीं ज़ेर ओ ज़बर कर दी गई है, ये काली