गमों का लुत्फ़ उठाया है खुशी…
गमों का लुत्फ़ उठाया है खुशी का जाम बाँधा है तलाश ए दर्द से मंज़िल …
गमों का लुत्फ़ उठाया है खुशी का जाम बाँधा है तलाश ए दर्द से मंज़िल …
ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते हम और बुलबुल ए बेताब गुफ़्तुगू करते, …
क़िस्मत का लिखा मिटा नहीं सकते अनहोनी को होनी बना नहीं सकते, ज़माने में हस्ब …
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ, …