क़ुबूल है अब तो ज़िन्दगी का हर तोहफ़ा

क़ुबूल है अब तो ज़िन्दगी का हर तोहफ़ा
मैंने ख्वाहिशो का नाम बताना छोड़ दिया,

जो दिल के क़रीब है वही मेरे अजीज़ है
मैंने अब गैरो पे हक़ जाताना छोड़ दिया,

जो समझ ही न सके हाल ए दिल मेरा
मैंने अब उन्हें ज़ख्म दिखाना छोड़ दिया,

जो गुज़रती है इस दिल पे वही हकीक़त है
मैंने दिखावे के लिए मुस्कुराना छोड़ दिया,

जो महसूस ही न करे सके कैफ़ियत मेरी
मैंने उनके साथ वक़्त बिताना छोड़ दिया,

फ़ितरत में ही हो शुमार जिनके नाराज़गी
मैंने अब उन्हें बार बार मानना छोड़ दिया,

गर कोई होगा अपना तो मिलेगा ज़रूर
मैंने अब बे वजह बंदिशे लगाना छोड़ दिया..!!

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