ख़िज़ाँ में ओढ़ के क़ौल ओ…

ख़िज़ाँ में ओढ़ के

ख़िज़ाँ में ओढ़ के क़ौल ओ क़रार का मौसम बहार ढूँढ रही है बहार का मौसम, वो मेरे

आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता

आँखों पर पलकों का

आँखों पर पलकों का बोझ नहीं होता दर्द का रिश्ता अपनी आन नहीं खोता, बस्ती के हस्सास दिलों

रंग पैराहन का ख़ुशबू ज़ुल्फ़ लहराने का नाम

रंग पैराहन का ख़ुशबू

रंग पैराहन का ख़ुशबू ज़ुल्फ़ लहराने का नाम मौसम ए गुल है तुम्हारे बाम पर आने का नाम,

मेरे ही लहू पर गुज़र औक़ात करो हो

मेरे ही लहू पर

मेरे ही लहू पर गुज़र औक़ात करो हो मुझ से ही अमीरों की तरह बात करो हो, दिन

मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा

मेरे जुनूँ का नतीजा

मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा, गिरा दिया है तो साहिल पे

हसीं चेहरों से सूरत आश्नाई होती रहती है

हसीं चेहरों से सूरत

हसीं चेहरों से सूरत आश्नाई होती रहती है समझ लो इब्तिदाई कारवाई होती रहती है, हमारी बीवी और

इश्क़ का नास करोगी मुझे मालूम न था

इश्क़ का नास करोगी

इश्क़ का नास करोगी मुझे मालूम न था मेरे पल्ले ही पड़ोगी मुझे मालूम न था, एक महीने

हो मोमिनों को हमेशा ही पयाम ए ईद मुबारक

हो मोमिनों को हमेशा

हो मोमिनों को हमेशा ही पयाम ए ईद मुबारक गगन के पार से आया है सलाम ए ईद

हम वो बुझदिल नहीं जो यलगार से डर जाएँगे

हम वो बुझदिल नहीं

हम वो बुझदिल नहीं जो यलगार से डर जाएँगे तुम ने ये समझा कि हम तलवार से डर

सियासत मुफ़ादात में खो गई है

सियासत-मुफ़ादात-में-खो

सियासत मुफ़ादात में खो गई है हुकुमत न जाने कहाँ सो गई है ? आवामी मसायेल इन्हें तब