कभी राहो में मिली होगी तू…
कभी राहो में मिली होगी तू तुझे मैंने कभी देखा तो होगा, हर दिल कुछ कहता है इस
कभी राहो में मिली होगी तू तुझे मैंने कभी देखा तो होगा, हर दिल कुछ कहता है इस
सफ़र है धूप का इसमें क़याम थोड़ी है बला है इश्क़ ये बच्चों का काम थोड़ी है, किसी
तनाव में जब आ जाए तो धागे टूट जाते है ज़रा सी बात पर पुराने रिश्ते टूट जाते
अंधेरा ज़ेहन का सम्त ए सफ़र जब खोने लगता है किसी का ध्यान आता है उजाला होने लगता
दुनियाँ जिसे कहते है जादू का खिलौना है मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है,
कोई दर्द कोई ख़ुशी कोई अरमान अब नहीं ज़िस्म तो है मगर जान अब नहीं, जिस कदर था
ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा काफ़िला साथ और सफ़र तन्हा, अपने साये से चौक जाते है उम्र गुज़री
काँटो की चुभन पे फूलो का मज़ा भी दिल दर्द के मौसम में रोया भी हँसा भी, आने
कुछ भी हो वो अब दिल से जुदा हो नहीं सकते हम मुजरिम ए तौहीन ए वफ़ा हो
जब ज़िंदगी सुकून से महरूम हो गई उन की निगाह और भी मासूम हो गई, हालात ने किसी