तू मेरी रूह का हिस्सा है, तू ही जान मेरी
जब भी सोचा कभी अपना तो हमारा सोचा क्या मिला और हुआ कितना ख़सारा सोचा …
जब भी सोचा कभी अपना तो हमारा सोचा क्या मिला और हुआ कितना ख़सारा सोचा …
तुझे इस क़दर है शिकायतेंकभी सुन ले मेरी हिकायते, तुझे गर न कोई मलाल होमैं …
ख़रीद कर जो परिंदे उड़ाए जाते हैंहमारे शहर में कसरत से पाए जाते है, मैं …
मिल के तुमको छोड़ दे कोई मज़ाक थोड़ी है हम दोनों जो मिले हैये इत्तेफ़ाक …
कही दिल लगाने की कोशिश न करना मुहब्बत की झूठी अदाओं पे साहबजवानी लुटाने की …
कोई भी शख्स मगर मेरा गमगुसार न था किसी की आँखों में ऐसा कभी ख़ुमार …
मुसाफ़िर भी सफ़र में इम्तिहाँ देने से डरते हैंमोहब्बत क्या करेंगे वो जो जाँ देने …
मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहतेदो चार क़दम चलने को चलना नहीं कहते …
मुझे गुमनाम रहने काकुछ ऐसा शौक है हमदमकिसी बेनाम सहरा मेंभटकती रूह हो जैसे, जहाँ …
जैसे कोयल की खूबसूरती उसके आवाज़ में हैवैसे ही एक औरत की खूबसूरती उसका अपनेपरिवार …