हाथ उठे जो दुआ को, तो दिल ऐसे रखा…
हाथ उठे जो दुआ को, तो दिल ऐसे रखा ख्वाहिशे बाद में रखी तुझे पहले …
हाथ उठे जो दुआ को, तो दिल ऐसे रखा ख्वाहिशे बाद में रखी तुझे पहले …
दर्द हो, दुःख हो तो दवा कीजिए फट पड़े आसमां तो क्या कीजिए ? नहीं …
जब लहज़े बदल जाएँ तो वज़ाहते कैसी नयी मयस्सर हो जाएँ तो पुरानी चाहतें कैसी …
जब भी तुम चाहो मुझे ज़ख्म नया देते रहो बाद में फिर मुझे सहने की …
इश्क़ में जान से गुज़रते है गुज़रने वाले मौत की राह नहीं देखते मरने वाले, …
ग़ज़ल का हुस्न है और गीत का शबाब है वो नशा है जिसमे सुखन का …
अब भी कहता हूँ कि तुम्हे घबराना नहीं है घबरा कर कोई गलत क़दम उठाना …
सोचता हूँ लहू तुम्हारा मैं गरमाऊँ किस तरह ? ऐ मेरी कौम तुम्हे आख़िर मैं …
रात पिघली है तेरे सुरमई आँचल की तरह चाँद निकला है तुझे ढूँढने पागल की …
तुमको वहशत तो सीखा दी है गुज़ारे लायक और कोई हुक्म ? कोई काम हमारे …