न जाने कैसा जादू कर गई है तेरी मुक़द्दस आँखे

न जाने कैसा जादू कर गई है तेरी मुक़द्दस आँखे
तेरे सिवा और किसी की तरफ़ अब देखा जाता नहीं,

नशे में चूर कर गई है, ये तेरी मुक़द्दस आँखे
जब तक देख न लूँ तुझे, चैन मुझे कही आता नहीं,

रंगीन दिलकश अंदाज़ रखती है तेरी मुक़द्दस आंखे
जिसको शायरी में बयान मुझसे तो किया जाता नहीं,

इश्क़ ए जुनून है मेरे इस दिल का तेरी ये मुक़द्दस आँखे
किसी और का तसव्वुर भी अब मेरे दिल में आता नहीं,

ये समन्दर से भी गहरी है तेरी मुक़द्दस आँखे
डूब चुका हूँ उस गहराई में बाहर अब निकला जाता नहीं,

देती है बे पनाह मुहब्बत भी तेरी ये मुक़द्दस आँखे
ठुकराने के बाद भी उसे नवाब बे वफ़ा कहा जाता नहीं..!!

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