मालूम है इस दुनियाँ में मशहूर नहीं है
ये गाँव तेरे दिल से तो अब दूर नहीं है,
ये उसकी मशीयत है हमें मिलने न आये
वरना वो किसी तौर भी मज़बूर नहीं है,
मशरूफ़ रहा करता है वो शख्स हमेशा
वैसे तो मेरा आईना है मगरूर नहीं है,
तस्वीर ए मुहब्बत हूँ ज़रा गौर से देखो
इस दुनियाँ में मुझ जैसा कोई चूर नहीं है,
इस शहर ए ज़फ़ा जू में तुझे छोड़ दूँ कैसे
हर बात है मंज़ूर मुझे, पर ये मंज़ूर नहीं है..!!