कैसे कह दूँ की मुलाक़ात नहीं होती है

कैसे कह दूँ की मुलाक़ात नहीं होती है
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है,

आप लिल्लाह न देखा करें आईना कभी
दिल का आ जाना बड़ी बात नहीं होती है,

छुप के रोता हूँ तेरी याद में दुनिया भर से
कब मेरी आँख से बरसात नहीं होती है,

हाल ए दिल पूछने वाले तेरी दुनिया में कभी
दिन तो होता है मगर रात नहीं होती है,

जब भी मिलते हैं तो कहते हैं कि कैसे हो शकील
इस से आगे तो कोई बात नहीं होती है..!!

~शकील बदायूनी

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