कहना ग़लत ग़लत तो छुपाना सही सही
क़ासिद कहा जो उस ने बताना सही सही,
ये सुब्ह सुब्ह चेहरे की रंगत उड़ी हुई
कल रात तुम कहाँ थे बताना सही सही,
दिल ले के मेरा हाथ में कहते हैं मुझ से वो
क्या लोगे इस का दाम बताना सही सही,
आँखें मिलाओ ग़ैर से दो हम को जाम ए मय
साक़ी तुम्हें क़सम है पिलाना सही सही,
ऐ मय फ़रोश भीड़ है तेरी दुकान पर
गाहक हैं हम भी माल दिखाना सही सही,
हम तो जान ओ दिल से फ़क़त आप के है बस
क्या आप भी हैं हमारे बताना सही सही..??
~अज्ञात
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
➤ आप इन्हें भी पढ़ सकते हैं






























1 thought on “कहना ग़लत ग़लत तो छुपाना सही सही”