जाग उठेंगे दर्द पुराने ज़ख़्मों की अँगनाई में

जाग उठेंगे दर्द पुराने ज़ख़्मों की अँगनाई में
दिल की चोट उभर आएगी मत निकलो पुर्वाई में,

कोयल कूकी मौज ए सबा ने पाँव में घुंघरू बाँध लिए
प्यार का नग़्मा छेड़ रहा है आज कोई शहनाई में,

जो पहले बदनाम हुए थे उन को दुनिया भूल गई
हम ने कैसे रंग भरे हैं इश्क़ तेरी रुस्वाई में,

कौन तुम्हारे दुख बाँटेगा कौन ये नाज़ उठाएगा
हम जिस वक़्त न होंगे जानाँ तड़पोगे तन्हाई में,

आज फ़ना के पीछे पीछे ख़ाक उड़ाते फिरते हैं
लोगों ने क्या देख लिया है आज तेरी सौदाई में..!!

~फ़ना बुलंदशहरी

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