हर एक दर्द मुहब्बत के नाम होता है…

हर एक दर्द मुहब्बत के नाम होता है
यही तमाशा मगर सुबह ओ शाम होता है,

कही भी मिलता नहीं है दयार ए खलुत में
कि जब भी इससे कोई हमको काम होता है,

कोई भी बनता नहीं दोस्त हम गरीबो का
जबकि हमारी सिम्त से मुस्बत पयाम होता है,

शेख साहब ये देख के ही न मर जाएँ कही
हमारे हाथो में उल्फ़त का सदा जाम होता है,

वो क़स्र ए शाही में रहता है अपनी राहत से
ग़रीब खाने में तो फ़क़त उसका क़याम होता है,

ख़ुदा का फज़ल है इल्म ओ कमाल में अब भी
जहाँ ए इश्क़ में अपना आली क़लाम होता है,

हिसार ए नफ़रत ए दर्द ए ज़दीद में यारो
हमारे प्यार का सारे जहाँ को सलाम होता है..!!

Leave a Reply

Receive the latest Update in your inbox