धूप ने गुज़ारिश की

धूप ने गुज़ारिश की
एक बूँद बारिश की,

लो गले पड़े काँटे
क्यूँ गुलों की ख़्वाहिश की ?

जगमगा उठे तारे
बात थी नुमाइश की,

एक पतिंगा उजरत थी
छिपकिली की जुम्बिश की,

हम तवक़्क़ो रखते हैं
और वो भी बख़्शिश की,

लुत्फ़ आ गया अल्वी
वाह ख़ूब कोशिश की..!!

~मोहम्मद अल्वी

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