वो मेरे घर नहीं आता मैं उसके घर नहीं जाता
वो मेरे घर नहीं आता मैं उसके घर नहीं जाता मगर इन एहतियातों से ताअल्लुक़ …
वो मेरे घर नहीं आता मैं उसके घर नहीं जाता मगर इन एहतियातों से ताअल्लुक़ …
हादसों की ज़द पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें ज़लज़लों के ख़ौफ़ से क्या घर …
ये है तो सब के लिए हो ये ज़िद्द हमारी है इस एक बात पे …
भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे हम आँसुओं की तरह मुस्कुराने वाले थे, …
अंधेरा ज़ेहन का सम्त ए सफ़र जब खोने लगता है किसी का ध्यान आता है …
तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे हम तो वो हैं तेरे चेहरे से …
तहरीर से वर्ना मेरी क्या हो नहीं सकता एक तू है जो लफ़्ज़ों में अदा …