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Wasim Barelvi

वो मेरे घर नहीं आता मैं उसके घर नहीं जाता

wo mere ghar nahi aata main uske ghar nahi

वो मेरे घर नहीं आता मैं उसके घर नहीं जाता मगर इन एहतियातों से ताअल्लुक़ मर नहीं जाता, …

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हादसों की ज़द पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें

haadso ki zad me hai to muskurana chhod de

हादसों की ज़द पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें ज़लज़लों के ख़ौफ़ से क्या घर बनाना छोड़ दें …

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ये है तो सब के लिए हो ये ज़िद्द हमारी है

ye hai to sab ke liye ho ye zidd hamari hai

ये है तो सब के लिए हो ये ज़िद्द हमारी है इस एक बात पे दुनिया से जंग …

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भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे

bhala gamo se kahan haar jaane wale the

भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे हम आँसुओं की तरह मुस्कुराने वाले थे, हम ही ने …

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उदास एक मुझी को तो कर नही जाता

उदास एक मुझी को

उदास एक मुझी को तो कर नही जाता वह मुझसे रुठ के अपने भी घर नही जाता, वह …

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अंधेरा ज़ेहन का सम्त ए सफ़र जब खोने लगता है…

andhera zehan ka samt e safar jab khone lagta hai

अंधेरा ज़ेहन का सम्त ए सफ़र जब खोने लगता है किसी का ध्यान आता है उजाला होने लगता …

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तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे…

tu samjhta hai ki ham rishto ki duhaai denge

तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे हम तो वो हैं तेरे चेहरे से दिखाई देंगे, हम …

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तहरीर से वर्ना मेरी क्या हो नहीं सकता…

tahrir se warna meri kya ho nahi sakta

तहरीर से वर्ना मेरी क्या हो नहीं सकता एक तू है जो लफ़्ज़ों में अदा हो नहीं सकता, …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

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हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने