चुप है आग़ाज़ में, फिर शोर ए अजल पड़ता है

chup hai aagaaz me fir shor e azal padta hai

चुप है आग़ाज़ में, फिर शोर ए अजल पड़ता है और कहीं बीच में इम्कान का पल पड़ता

मेरे सिवा भी कोई गिरफ़्तार मुझ में है

mere siwa bhi koi giraftar mujh me hai

मेरे सिवा भी कोई गिरफ़्तार मुझ में है या फिर मेरा वजूद ही बेज़ार मुझ में है, मेरी

वो चराग़ ए जाँ कि चराग़ था कहीं रहगुज़ार में बुझ गया

wo charag e jaan ki charag tha kahin rahgujar me bujh gaya

वो चराग़ ए जाँ कि चराग़ था कहीं रहगुज़ार में बुझ गया मैं जो एक शो’लानज़ाद था हवस

मज्लिस ए ग़म, न कोई बज़्म ए तरब, क्या करते

majlis e gam na koi bazm e tarab kya karte

मज्लिस ए ग़म, न कोई बज़्म ए तरब, क्या करते घर ही जा सकते थे आवारा ए शब,

कठ पुतली है या जीवन है जीते जाओ सोचो मत

kath putli hai yaa jivan hai jite jaao socho mat

कठ पुतली है या जीवन है जीते जाओ सोचो मत सोच से ही सारी उलझन है जीते जाओ

रात के बाद नए दिन की सहर आएगी

raat ke baad naye din ki sahar ayegi

रात के बाद नए दिन की सहर आएगी दिन नहीं बदलेगा तारीख़ बदल जाएगी, हँसते हँसते कभी थक

मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं

mutthi bhar logo ke hathon me laakho ki taqdeeren hain

मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया

girija me mandiron me azanon me bat gaya

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया, इक इश्क़

ज़मीन दी है तो थोड़ा सा आसमान भी दे

zameen dee hai to thoda saa aasmaan bhi de

ज़मीन दी है तो थोड़ा सा आसमान भी दे मेरे ख़ुदा मेरे होने का कुछ गुमान भी दे,

देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ

dekha hua saa kuch hai to socha hua saa kuch

देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ हर वक़्त मेरे साथ है उलझा हुआ सा