तुम्हारा हिज्र मनाया तो मैं अकेला था

tumhara hizr manaya to main

तुम्हारा हिज्र मनाया तो मैं अकेला था जुनूँ ने हश्र उठाया तो मैं अकेला था, ये मेरी अपनी

कह गया हूँ जो मैं रवानी में

kah gaya hoon jo main

कह गया हूँ जो मैं रवानी में वो तो शामिल न था कहानी में, कोई लग़्ज़िश गुनाह तौबा

दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते हैं

dil me ab yun tere bhule hue

दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते हैं जैसे बिछड़े हुए काबे में सनम आते हैं,

किसी और ग़म में इतनी ख़लिश ए निहाँ नहीं है

kisi aur gam me itni khalish e nihan

किसी और ग़म में इतनी ख़लिश ए निहाँ नहीं है ग़म ए दिल मेरे रफ़ीक़ो ग़म ए राएगाँ

आँधी चली तो नक़्श ए कफ़ ए पा नहीं मिला

aandhi chali to naksh e qaf e paa

आँधी चली तो नक़्श ए कफ़ ए पा नहीं मिला दिल जिस से मिल गया वो दोबारा नहीं

कभी झिड़की से कभी प्यार से समझाते रहे

kabhi jhidki se kabhi pyar se

कभी झिड़की से कभी प्यार से समझाते रहे हम गई रात पे दिल को लिए बहलाते रहे, अपने

आप का एतिबार कौन करे

aapka aetibar kaun kare

आप का एतिबार कौन करे रोज़ का इंतिज़ार कौन करे ज़िक्र ए मेहर ओ वफ़ा तो हम करते

फिरे राह से वो यहाँ आते आते

fire raah se wo yahan aate aate

फिरे राह से वो यहाँ आते आते अजल मर रही तू कहाँ आते आते, न जाना कि दुनिया

ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा

le chala jaan meri ruth ke jana

ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा, अपने

तन्हा हुए ख़राब हुए आइना हुए

tanha hue kharab hue

तन्हा हुए ख़राब हुए आइना हुए चाहा था आदमी बनें लेकिन ख़ुदा हुए, जब तक जिए बिखरते रहे