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Sad Status

आदम की जात होकर इल्म बिसरा रहे हो

aadam ki jaat ho kar ilm bisra rahe

आदम की जात होकर इल्म बिसरा रहे हो क्यूँ मज़लूम ओ गरीब को बेवजह सता रहे हो ? …

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दूर कर देगा कभी साथ नहीं होने देगा

door kar dega kabhi saath nahi

दूर कर देगा कभी साथ नहीं होने देगा ये वक़्त बेदर्द मुलाक़ात नहीं होने देगा, गम की वो …

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मैं सुन रहा हूँ जो दुनियाँ सुना रही है मुझे

main sun raha hoo jo duniyan suna rahi hai

मैं सुन रहा हूँ जो दुनियाँ सुना रही है मुझे हँसी तो अपनी ख़ामोशी पे आ रही है …

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कैसी महफ़िल है ज़ालिम तेरे शहर में…

kaisi mahfil hai zalim tere shahar me

कैसी महफ़िल है ज़ालिम तेरे शहर में यहाँ हर कोई ही डूबा हुआ है ज़हर में, एक बच्ची …

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चेहरे की हसी भी दिखावट सी हो रही है…

chehre ki hasi bhi dikhawat si ho rahi

चेहरे की हसी भी दिखावट सी हो रही है असल ज़िन्दगी भी बनावट सी हो रही है, अनबन …

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सच ये है कि बेकार का ही हमें गम…

sach ye hai ki bekaar ka hi hame gam hota hai

सच ये है कि बेकार का ही हमें गम होता है जैसा हम चाहे दुनियाँ में वो बहुत …

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उसे भुला के भी यादों के सिलसिले न गए

use bhula ke bhi yaado ke silsile

उसे भुला के भी यादों के सिलसिले न गए दिल ए तबाह तेरे उससे राब्ते न गए, किताब …

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दर्द आसानी से कब पहलू बदल कर…

dard aasaani se kab pahlu badal kar nikla

दर्द आसानी से कब पहलू बदल कर निकला आँख का तिनका बहुत आँख मसल कर निकला, तेरे मेहमान …

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ज़ब्त ए ग़म पर ज़वाल क्यों आया

zabt e gam par jawal kyon aya

ज़ब्त ए ग़म पर ज़वाल क्यों आया शिद्दतों में उबाल क्यों आया ? गुल से खिलवाड़ कर रही …

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रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई

rahne ko sada dahar me ata nahi koi

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई, डरता हूँ …

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Yusuf na the magar

युसुफ़ न थे मगर सर ए बाज़ार आ गए

एक सूरज था कि

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा

जुस्तुजू खोए हुओं की

जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे

वो जो दिल में तेरा मुक़ाम है

वो जो दिल में तेरा मुक़ाम है

दिल की दुनिया में

दिल की दुनिया में दुनिया न आये कभी

लिबास तन से उतार

लिबास तन से उतार देना, किसी को बांहों के हार देना

मुक़म्मल दो ही दानों

मुक़म्मल दो ही दानों पर ये तस्बीह ए मुहब्बत है

तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

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Yusuf na the magar

युसुफ़ न थे मगर सर ए बाज़ार आ गए

एक सूरज था कि

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा

जुस्तुजू खोए हुओं की

जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे