कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए
कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए उस की तस्वीर हटा दी जाए, ढूँढने में भी मज़ा
Sad Poetry
कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए उस की तस्वीर हटा दी जाए, ढूँढने में भी मज़ा
सर्दी में दिन सर्द मिला हर मौसम बेदर्द मिला, ऊँचे लम्बे पेड़ों का पत्ता पत्ता ज़र्द मिला, सोचते
दिन एक के बाद एक गुज़रते हुए भी देख एक दिन तू अपने आप को मरते हुए भी
और बाज़ार से क्या ले जाऊँ पहली बारिश का मज़ा ले जाऊँ कुछ तो सौग़ात दूँ घर वालों
धूप ने गुज़ारिश की एक बूँद बारिश की, लो गले पड़े काँटे क्यूँ गुलों की ख़्वाहिश की ?
लबों पर यूँही सी हँसी भेज दे मुझे मेरी पहली ख़ुशी भेज दे, अँधेरा है कैसे तेरा ख़त
अच्छे दिन कब आएँगे क्या यूँ ही मर जाएँगे ? अपने आप को ख़्वाबों से कब तक हम
नींद रातों की उड़ा देते हैं हम सितारों को दुआ देते हैं, रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसू ख़ास
है कोई बैर सा उस को मेरी तदबीर के साथ अब कहाँ तक कोई झगड़ा करे तक़दीर के
एक ख़ला अंदर उतर जाने दिया ख़ुद को ख़ालीपन से भर जाने दिया, जान मुड़ कर देखती थी