मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहते
मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहते दो चार क़दम चलने को चलना नहीं …
मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहते दो चार क़दम चलने को चलना नहीं …
सामने तू है लम्हा लम्हा मेरे और ज़मीं आसमां की दूरी है, कोई मंतक, कोई …
उदास दिल है कि उनकी नज़र नहीं होती बग़ैर शम्स के ताब ए क़मर नहीं …
धरती पर जब ख़ूँ बहता है बादल रोने लगता है देख के शहरों की वीरानी …
उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम नहीं होता हज़ारों जुगनुओं से भी अँधेरा कम …
बड़ा बेशर्म ज़ालिम है, बड़ी बेहिस फ़ितरत है उसको कहाँ पता हया क्या ? क्या …
जी भर कर रोने को करता है दिल आज पलकें भिगोने को करता है दिल, …
इलाज़ ए शीशा ए दिल करूँ मिले जो शीशा गर कोई कोई मिला नहीं इधर, …
वो इंसाँ जो शिकार ए गर्दिश ए अय्याम होता है भला करता है दुनिया का …