हर एक आवाज़ अब उर्दू को फ़रियादी बताती है..
हर एक आवाज़ अब उर्दू को फ़रियादी बताती है यह पगली फिर भी अब तक ख़ुद को शहज़ादी
Religious Poetry
हर एक आवाज़ अब उर्दू को फ़रियादी बताती है यह पगली फिर भी अब तक ख़ुद को शहज़ादी
उर्दू है मेरा नाम मैं ख़ुसरो की पहेली मैं मीर की हमराज़ हूँ ग़ालिब की सहेली, दक्कन के
चिड़ियाँ होती है बेटियाँ मगर पंख नहीं होते बेटियों के, मायके भी होते है,ससराल भी होते है मगर
जिधर देखते है हर तरफ गमो के अम्बार देखते है हर किसी को रंज़ ओ अलम में गिरफ्तार
कोई तो फूल खिलाए दुआ के लहज़े मेंअज़ब तरह की घुटन है हवा के लहज़े में, ये वक़्त
हर नाला तिरे दर्द से अब और ही कुछ हैहर नग़्मा सर-ए-बज़्म-ए-तरब और ही कुछ है, अरबाब-ए-वफ़ा जान
चर्ख़ से कुछ उमीद थी ही नहींआरज़ू मैं ने कोई की ही नहीं, मज़हबी बहस मैं ने की
ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या हैकि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या
लिखना नहीं आता तो मेरी जान पढ़ा करहो जाएगी तेरी मुश्किल आसान पढ़ा कर, पढ़ने के लिए अगर