एक ज़ालिम उसपे क़हर आँखे दिखा रहा है…

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एक तो ज़ालिम उसपे क़हर आँखे दिखा रहा है अंज़ाम ए बेहया शायद अब नज़दीक आ रहा है,

अब भी कहता हूँ कि तुम्हे घबराना नहीं है…

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अब भी कहता हूँ कि तुम्हे घबराना नहीं है घबरा कर कोई गलत क़दम उठाना नहीं है, हुनूज़

सोचता हूँ लहू तुम्हारा मैं गरमाऊँ किस तरह… ?

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सोचता हूँ लहू तुम्हारा मैं गरमाऊँ किस तरह ? ऐ मेरी कौम तुम्हे आख़िर मैं जगाऊँ किस तरह

सियासत ने बदला में’यार मुल्क में हुक्मरानी का…

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सियासत ने बदला में’यार मुल्क में हुक्मरानी का देश चलने लगा है पा कर इशारे अमीर घरानों से,

है बहुत अँधेरा अब सूरज निकलना चाहिए…

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है बहुत अँधेरा अब सूरज निकलना चाहिए जैसे भी हो अब ये मौसम बदलना चाहिए, रोज़ जो चेहरे

चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए…

चेहरे का ये निखार

चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए ये रूप ये सिंगार मुक़म्मल तो कीजिए, रहने ही दे हुज़ूर

फ़लक पे चाँद के हाले भी सोग करते हैं…

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फ़लक पे चाँद के हाले भी सोग करते हैं जो तू नहीं तो उजाले भी सोग करते हैं,

खून अपना हो या पराया हो….

खून अपना हो या

खून अपना हो या पराया हो नस्ल ए आदम का खून है आखिर,   जंग मशरिक़ में हो

बेलौस हँसी दिखाना, दिल से निभाना हर रिश्ता यहाँ…

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बेलौस हँसी दिखाना, दिल से निभाना हर रिश्ता यहाँ मुस्कान पर अपने पराये सभी का अधिकार होता है,

एक अरसे से जमीं से लापता है इन्किलाब…

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एक अरसे से जमीं से लापता है इन्किलाब कोई बतलाये कहाँ गायब हुआ है इन्किलाब, एक वो भी