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Political Poetry

है बहुत अँधेरा अब सूरज निकलना चाहिए…

Bazmeshayari_512X512

है बहुत अँधेरा अब सूरज निकलना चाहिए जैसे भी हो अब ये मौसम बदलना चाहिए, रोज़ जो चेहरे …

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चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए…

चेहरे का ये निखार

चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए ये रूप ये सिंगार मुक़म्मल तो कीजिए, रहने ही दे हुज़ूर …

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फ़लक पे चाँद के हाले भी सोग करते हैं…

Bazmeshayari_512X512

फ़लक पे चाँद के हाले भी सोग करते हैं जो तू नहीं तो उजाले भी सोग करते हैं, …

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खून अपना हो या पराया हो….

खून अपना हो या

खून अपना हो या पराया हो नस्ल ए आदम का खून है आखिर,   जंग मशरिक़ में हो …

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बेलौस हँसी दिखाना, दिल से निभाना हर रिश्ता यहाँ…

Bazmeshayari_512X512

बेलौस हँसी दिखाना, दिल से निभाना हर रिश्ता यहाँ मुस्कान पर अपने पराये सभी का अधिकार होता है, …

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एक अरसे से जमीं से लापता है इन्किलाब…

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एक अरसे से जमीं से लापता है इन्किलाब कोई बतलाये कहाँ गायब हुआ है इन्किलाब, एक वो भी …

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गुलों में रंग न खुशबू, गरूर फिर भी है…

Bazmeshayari_512X512

गुलों में रंग न खुशबू, गरूर फिर भी है नशे में रूप के वो चूर-चूर फिर भी है, …

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तुम जैसे तो लाखो ही थे, है और भी आएँगे…

Bazmeshayari_512X512

तुम जैसे तो लाखो ही थे, है और भी आएँगे मगर हम जैसे तुम्हे बहुत कम ही मिल …

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मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है…

Bazmeshayari_512X512

मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है ज़िन्दगी से हारे हुए लोगो को जीतते …

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जिधर देखते है हर तरफ गमो के अम्बार देखते है…

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जिधर देखते है हर तरफ गमो के अम्बार देखते है हर किसी को रंज़ ओ अलम में गिरफ्तार …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने